सोमवार, 22 मार्च 2010

हादसा

रोज होते है,हादसे.
शहर में,चोराहो पर, सड़क पर.
हो जाता है भयावह माहोल वहां पर.
होती है चीख-पुकार हर तरफ.
हम भी देखते हैं अक्सर ये मंजर.
और चल देते हैं,
'बहुत बुरा हुआ ' कहकर .
क्योकि हमे है जल्दी अपनी मंजिल पर पहुचने की.
हमे नहीं है फुरसत वहां पर मदद करने की.
नहीं होती है जागृत मानवता हमारी,
उस भयावह मंजर को देख कर.

जब होता है हादसा,
किसी हमारे के साथ,
तो याद आती है मानवता हमको.
लगते हैं, हम हर किसी से मदद की गुहार .
अब नहीं है जल्दी मंजिल पर पहुचने ही,
अब फुरसत है हमे इस मंजेर पर सोचने की.

कोई टिप्पणी नहीं:

नौकरी खोजें

Careerjet द्वारा नौकरियां