गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009

गज़ल

रखते नहीं हैं बैर किसी आदमी से हम,
फिर भी हैं अपने शहर में एक अजनवी से हम,
देखा हैं जलते जबसे गरीबों का आशियाँ,
डरते हैं हर चिराग की अब रोशनी से हम,
हम बोलते नहीं हैं तो समझे न बेजुबां है,
अपने घर की बात, कहें क्यों किसी से हम,
तेरी ख़ुशी का आज भी इतना ख्याल हैं,
लेते नहीं है साँस भी अपनी ख़ुशी से हम,
या तो हमारी नजरों का सारा कसूर है,
या दूर हो गए हैं, बहुत रोशनी से हम.

बुधवार, 28 अक्तूबर 2009

सच्चा धर्म तो पापों की जड काटकर मुक्ति का मार्ग प्रदर्शन करता है, पर मिथ्या धर्म में मुक्ति टकों के बल बिकती है.
- रस्किन
जिसके क्रोध और हर्ष व्यर्थ नहीं जाते, जो आवश्यक कार्यों की स्वयं देखभाल करता है और खजाने की भी स्वयं जानकारी रखता है, उसकी पृथ्वी पर्याप्त धन बाली होती है.

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2009

नमस्‍कार मित्रों
आपका सब का
मुरादाबादी अड़डा में स्‍वागत है
मुरादाबाद से जुड़े लोगों को यहां की नस नस में बसे अड़डा संस्‍कति के बारे में बताने की जरूरत नहीं है वो अपने आप ही इसे सांस के साथ जीते हैं और उसे इस्‍तेमाल करते हैं।

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