शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

जिन्दगी मोहताज नहीं मंजिलों की

जिन्दगी मोहताज नहीं मंजिलों की;

वक्त हर मंजिल दिखा देता है ।

कुछ बिगड़ता नहीं किसी से बिछुड़कर;

क्योंकि वक्त सबको जीना सिखा देता है।

तूफान मे किस्ती को किनारे भी मिलते हैं;

जहाँ मे लोगों को सहारे भी मिलते हैं।

दुनिया में सबसे प्यारी है जिन्दगी;

कुछ लोग जिन्दगी मे प्यारे भी मिलते हैं।

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