रात भर यादो का हंसी मंज़र देखा,
हुई सुबहे तो वही टूटा हुआ घर देखा,
वही खामोशी थी फ़ैली चारो तरफ,
वही तकिया वही बिस्तर देखा,
वीरानिया ही नज़र उस तरफ,
हमने पलट कर जिधर भी देखा,
बहारो के इंतज़ार में सो गए थे हम,
आँख खुली तो फिर वही पतझर देखा,
अजनबी सा लगा कुछ पल अपना घर,
देखते ही रह गए बस जिधर देखा,
गम भरे पड़े है नसीब में ए दोस्त,
हमने पहली बार ऐसा मुक्क़दर देखा...........
हुई सुबहे तो वही टूटा हुआ घर देखा,
वही खामोशी थी फ़ैली चारो तरफ,
वही तकिया वही बिस्तर देखा,
वीरानिया ही नज़र उस तरफ,
हमने पलट कर जिधर भी देखा,
बहारो के इंतज़ार में सो गए थे हम,
आँख खुली तो फिर वही पतझर देखा,
अजनबी सा लगा कुछ पल अपना घर,
देखते ही रह गए बस जिधर देखा,
गम भरे पड़े है नसीब में ए दोस्त,
हमने पहली बार ऐसा मुक्क़दर देखा...........