मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

प्यार का बुखार

रात भर यादो का हंसी मंज़र देखा,
हुई सुबहे तो वही टूटा हुआ घर देखा,
वही खामोशी थी फ़ैली चारो तरफ,
वही तकिया वही बिस्तर देखा,
वीरानिया ही नज़र उस तरफ,
हमने पलट कर जिधर भी देखा,
बहारो के इंतज़ार में सो गए थे हम,
आँख खुली तो फिर वही पतझर देखा,
अजनबी सा लगा कुछ पल अपना घर,
देखते ही रह गए बस जिधर देखा,
गम भरे पड़े है नसीब में ए दोस्त,
हमने पहली बार ऐसा मुक्क़दर देखा...........

6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

वर्ष २०१० नया साल मुबारक हो !

चिटठा जगत में आपका स्वागत है , उम्मीद है हम आप एक मजबूत दोस्ती की बुनियाद रखेगे /

बेनामी ने कहा…

sundar panktiyan.

संगीता पुरी ने कहा…

इस नए ब्‍लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. अच्‍छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

अंकुर कुमार 'अश्क' ने कहा…

सब से पहले तो मै आप सब से देरी के लिए माफ़ी मांगता हूँ ,
आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक बधाई ,

अजय कुमार ने कहा…

हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें

alka mishra ने कहा…

आशा है आपकी नयी पोस्ट जल्दी पढने को मिलेगी
शुभकामनाएं

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