तेरी हंसी से हंसती है जिन्दगी;
तेरे रोने से रो जाती है जिन्दगी।
अब मेरे टूटे दिल को मरहम की जरूरत नहीं;
अब तो हर मोड़ पर चोटें खाती है जींदगी।
क्यों करते हो हमारी फ़िक्र मेरे दिलबर;
दर-दर
पर ठोकरें पाती है जिन्दगी।
तेरे साथ बिताये लम्हों के सहारे;
हर तन्हा रात को सजाती है जिन्दगी।
सोचकर यही की तू आएगी वापस;
तेरे रहने के लिए आशियाँ बनती है जिन्दगी।
आज क्या हुआ मेरे दिलबर;
तेरे आने की आहट सताती है जिन्दगी।
2 टिप्पणियां:
ji bahut khub likha aapne....
kunwar ji,
bahut khub
badhai aap ko is ke liye
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
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